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Showing posts from June, 2017

लिब्रांडू बुद्धिजीवी "एक जिवाणु"

हमारे देश के लिबरल या कहे कि छन्न उदारवादी। इनकी बुद्धि की शुद्धि करने की जरूरत है। ईश्वर का शुक्र है कि इनकी संख्या बहुत कम है, अगर देश की आबादी में इनके जैसे 5 प्रतिशत लोग भी हो जाए तो ये देश का सत्यनाश कर दे। हमारा मीडिया इनको बुद्धिजीवी क्यों कहता है? ये आज तक मैं नहीं समझ पाया। कुछ न्यूज़ एंकर ताने के रूप में इस शब्द का प्रयोग करते है तो कुछ बड़े ही गर्व से इनको बुद्धिजीवी कहते है लेकिन एक बात तो है कि 'बुद्धिजीवी' शब्द बोलते वक्त उनके हाव-भाव पूरी तरह से बदल जाते है। किसी एंकर की आंखों में शोले भड़क रहे होते है तो किसी की आंखों में शरारत दिखती है खैर जो भी हो इस 'बुद्धिजीवी' शब्द में वजन तो है। चलिए अब इनका बारीकी से विश्लेषण करते है। इनके एक नहीं अनेकों नाम है। लोग इन्हें प्यार से लिबरल कहते है, बोले तो उधारवादी। सॉरी उदारवादी। मानवतावादी। गुस्से में तो लोग इनको बहुत कुछ कहते है वो सब मैं आपको नहीं बता सकता। अपने दिमाग की बत्ती जलाओ। दरअसल इनकी पूरी एक बिरादरी है। जमात है। इनकी जमात से ताल्लुक़ात रखने वाले लोग सरकारी कचहरी से लेकर स्कूल-कॉलेजों तक में है। ये बड

"काश्मीर मांगे क्रांति" अलगाववादीयों के खिलाफ

कश्मीर के वर्तमान हालात के ऊपर अगर नजर डाला जाए तो DSP अय्यूब की हत्या कश्मीर में एक नई "क्रांति" का आगाज कर सकती है, बशर्ते काश्मीर के अमन पसंद लोग अलगाववादीयों द्वारा फैलाए आजाद मुल्क की हकीकत को समझे | क्योंकि DSP अय्यूब की हत्या ने साबित कर दिया है कि कश्मीर में पाकिस्तान परस्त इस्लाम और कट्टर जिहादी इस्लाम यह दोनों अलगाववादियों के आड़ में अपना पांव पसार चूकी है| या यूं समझ ले काश्मीर में अब ISIS, मिरवाईज, यासीन मल्लिक, गिलानी और अब्दुल्ला खानदान जैसे मूल्क के गद्दारों के कंधे पर बंदूक रख गोली चला रहा है| ये अलगाववादी हूर्रियत नेता अपनी राजनैतिक महत्वाकांक्षा की पूर्ती के लिए मासूम बच्चों और युवाओं, अब तो लड़कीयों के भी हाथों में पत्थर पकड़ा रहा है | काश्मीर के शांतिप्रिय नुमाइंदो को ये समझना होगा के काश्मीर समस्या का हल कोई राजनैतिक पार्टी या आसमानी ताकत हल करने नही आनेवाला, इसे काश्मीर के लोगों को ही हल करना है, आपको ही पहचान करनी होगी, उनकी जो आपका इस्तेमाल कर रहे हैं, जो आपके बच्चो के हाथों में पत्थर पकड़ा रहे हैं जो जिहाद के नाम पर आपके बच्चों को आत्मघाती बना

भारतीय राजनिति का भविष्य!

कल्पना करें। पचास साल बाद जब हमारी भावी पीढ़ी सन् 2000 के बाद के भारत का इतिहास अध्ययन करने बैठेंगे, तो उन्हें क्या-क्या अध्ययन करने को मिलेगा।                   आतंकवाद, भ्रष्टाचार, घोटाला, बलात्कार, हत्या, लूट, प्राकृतिक आपदा में राजनीतिक, जातिवाद, वंशवाद, अभिनेताओं की राजनीतिक, गरीबी, भुखमरी, बेरोजगारी, आत्महत्या, सहिष्णुता बनाम असहिष्णुता, जुमला, यु-टर्न, शैतान, तांत्रिक, बीफ, आरक्षण, जंगलराज, मंडल-कमंडल, लोकपाल बनाम जोकपाल, तोता, पुरस्कार वापसी, अजान कंट्रोवर्सी, दलित कार्ड इत्यादि| 2014 के बाद मोदी सरकार आने के बाद कुछेक उपलब्धियों को छोड़ दें, तो हमारी भावी पीढ़ी को इतिहास की किताबों में पढने के लिये इसके अलावा कुछ खास नहीं मिल पायेगा, बशर्ते की हमारे भावी पीढ़ी के पूर्वजों ने अगर अपने दकियानूसी विचारधारा और राजनीतिक ड्रामेबाजी पर लगाम नहीं लगाते हैं तो।                     क्या हमारे देश के कर्णधार आनेवाले समय में इन्हीं राजनेताओं का अनुसरण करेंगे, जो खुलेआम मीडिया में अपने राजनीतिक फायदों के लिये एक-दूसरे को चोर-बेईमान साबित करते हैं। आनेवाले समय में जिन कंधों पर इस देश की