लिब्रांडू बुद्धिजीवी "एक जिवाणु"

हमारे देश के लिबरल या कहे कि छन्न उदारवादी। इनकी बुद्धि की शुद्धि करने की जरूरत है। ईश्वर का शुक्र है कि इनकी संख्या बहुत कम है, अगर देश की आबादी में इनके जैसे 5 प्रतिशत लोग भी हो जाए तो ये देश का सत्यनाश कर दे। हमारा मीडिया इनको बुद्धिजीवी क्यों कहता है? ये आज तक मैं नहीं समझ पाया। कुछ न्यूज़ एंकर ताने के रूप में इस शब्द का प्रयोग करते है तो कुछ बड़े ही गर्व से इनको बुद्धिजीवी कहते है लेकिन एक बात तो है कि 'बुद्धिजीवी' शब्द बोलते वक्त उनके हाव-भाव पूरी तरह से बदल जाते है। किसी एंकर की आंखों में शोले भड़क रहे होते है तो किसी की आंखों में शरारत दिखती है खैर जो भी हो इस 'बुद्धिजीवी' शब्द में वजन तो है।

चलिए अब इनका बारीकी से विश्लेषण करते है। इनके एक नहीं अनेकों नाम है। लोग इन्हें प्यार से लिबरल कहते है, बोले तो उधारवादी। सॉरी उदारवादी। मानवतावादी। गुस्से में तो लोग इनको बहुत कुछ कहते है वो सब मैं आपको नहीं बता सकता। अपने दिमाग की बत्ती जलाओ।

दरअसल इनकी पूरी एक बिरादरी है। जमात है। इनकी जमात से ताल्लुक़ात रखने वाले लोग सरकारी कचहरी से लेकर स्कूल-कॉलेजों तक में है। ये बड़े-बड़े मीडिया घरानों में है। ये सिनेमा में है और अखबारों में भी। ये सरकार में भी है और विपक्ष में भी है। आपके ऑफिस में भी हो सकते है। आपके घर के बगल में भी हो सकते है। मतलब ये लोग कहीं भी हो सकते हैं। ये लिबरल लोग ट्रेन के उस चाय वाले कि तरह होते है जो बार-बार आपके सामने से गुजरता हुआ लगातार चायगरम-चायगरम बोलता हुआ आता-जाता रहता है और एकाएक आपका मन परिवर्तित हो जाता है और आखिरकार आप उसकी चाय खरीद ही लेते है। इसलिए आप इनसे बचके रहिएगा नहीं तो ये लोग आपको भी उनके जैसा जीवाणु बना देंगे।

असल में इनकी एक विचारधारा है जिसे ये लोग उस विचारधारा को पूरी दुनिया पर थोपना चाहते है। जैसे गांव में दीवारों पर गोबर थोपा जाता है। अरे हाँ वैसे ई च। ये लोग दुनिया के किसी भी प्रकार के राष्ट्रवाद को नहीं मानते, क्योंकि इनको राष्ट्र से कोई मतलब नहीं होता। ये लोग दुनिया के हर कोने में बस लाल झंडा फहराना चाहते है, और जब ये इस लाल झंडे को नही फहरा पाते हैं, तो उसी झंडे को काट बड़ी-बड़ी बिंदी बना अपने माथे पर चिपका लेते हैं और बड़ी मासुमियत से देश तोड़ने वाले गद्दारों का बचाव करते हैं|
हद तो तब हो जाती है, जब ये तथाकथित सेकुलर लिब्रांडू बुद्धिजीवी काश्मीर-काश्मीर भी चिल्लाते हैं, और जनमत संग्रह तक करवाने के लिए तैयार बैठे रहते हैं.. वो लफंगे (सॉरी लफंगा कहना मजबूरी है) ये क्यूं भूल जाते हैं के बलूचिस्तान भी तो हमारा ही है, तो ये लफंगे बलूचिस्तान की बात क्यूं नही करते? जहां रोज ना जाने कितनी बेटियाँ बलात्कार का शिकार होती है|ये तिब्बत पर चीनी सेना द्वारा किऐ जा अत्याचार पर बात क्यूं नही करते? नही कर सकते, क्योंकि ये देश विरोधी ताकतों के हाथो बिक चूके हैं, ये उन वाह्य शक्तियों का प्रोपेगेंडा चलाते हैं हमारे देश में | ये कभी बात नहीं करेंगे क्योंकि इन उच्चके ढोंगी सेकुलर बुद्धिजीवीयों का इस्लाम खतरे में आ जाता है| इन्हें तो बस टीवी शो पर राष्ट्रवाद की बड़ी-बड़ी डींगे और डिबेट करना आता है और जब शर्म आती है तो स्क्रीन काली करके पर्दे के पीछे दुबक जाते हैं

दरअसल दोष इन तथाकथित सेकुलरिज्म के पुजारियों और बुद्धिजीवीयों का भी नहीं है, दोष तो हम जैसे निर्बूधन प्रजा का है, आखिर हमें भी तो अपने देश के प्रति कुछ जिम्मेदारी निभाने हैं, इसी जिम्मेदारी को निभाने के चक्कर में हम तमाम हथकंडों की असलियत जानते हुऐ भी जंतर-मंतर पहुंच जाते हैं और जिंदाबाद-मुर्दाबाद करने लगते हैं, और खूद को बुद्धिजीवी साबित करने की जिद करने लगते हैं, अरे मूर्ख अपनी मूर्खता को जेब में डाल लो, कोई तुम्हें टोपी पहना रहा और तुम भी टोपी पहन खूद को बुद्धिजीवी समझ रिये हो तो सबसे बड़े वाले वो हो तुम

चलिऐ ये तो हो गऐ Higher quality के बुद्धिजीवी, अब हम (So called) तथाकथित युवा बुद्धिजीवी के बारे में जानते हैं| ये भी उन्ही बुद्धिजीवियों की तरह कोई भी "युवा" हो सकते है अंतर केवल इतना है कि ये अभी नये-नये प्रवेश पायें है इन बुद्धिजीवियों के प्रयोगशाला में |

चलिऐ अब हम इनकी भी बारिकी से विश्लेषण करते हैं| कुछ तथाकथित युवा बुद्धिजीवी मूंह में चांदी का चम्मच लेके पैदा होने के कारण भी बुद्धिजीवी कहे जाते हैं| ये युवा बुद्धिजीवी इतने बुद्धिमान होते हैं के अगर इनका बस चले तो ये "समोसे की खेती" और आलू की फैक्टरी लगवा दे पूरे देश में| वहीं दुसरी तरफ कुछ तथाकथित युवा बुद्धिजीवी माधुरी और कैटरिना को नचवाकर जनता का स्किल डेवलप करने की चाहत रखते हैं|

दरअसल ये युवा देश के टॉप प्रतिष्ठित शिक्षण संस्थानों से तैयार हो कर निकलते हैं, लेकिन बेरोजगार| अब ये निक्कमे So called युवा बुद्धिजीवी अपने मां-बाप को अपनी नाकामी और निकम्मेपन की कहानी शर्म से तो सूना नही सकते हैं, तब ये अपनी नाकामी छुपाने के लिए सारा ठिकरा बेचारे "आरक्षण" पर फोड़ डालते हैं|
और तो और लोगों को भी बरगला उसी में अपना भविष्य तलाशने लगते हैं, राजनिति का | अब इस विशुद्ध निकम्मे में बड़े-बड़े बुद्धिजीवी अपनी राजनैतिक रोटीयां सेकने के लिए इन्हें भी बुद्धिजीवी की उपाधी दे डालते हैं|
असल में ये युवा इतने हताश और निराश होते हैं अपनी जिंदगी से के इन्हें बड़े-बड़े बुद्धिजीवा दो फूंक गाजा दे देकर समलैंगिकता, लेस्बियन और लिव इन जैसे पाश्चात्य कुकर्म का बिच कॉलेज कैम्पस मे फैस्टिवल मनवा लेते है |
वहीं कुछ तथाकथित युवा बुद्धिजीवी को लगता है हम
गुलाम है, अब हमें ये नही पता ये युवा किस चीज से गुलाम है, बस इनको हमारे देश में आज़ादी चाहिए। नारे भी ज़ोर-ज़ोर से लगाते है "हम लेकर रहेंगे आज़ादी" अरे भाई आज़ाद मुल्क में किस बात की आज़ादी! तुम क्या लेकर रहोगे आज़ादी, हम ही तुमको दे देंगे आज़ादी। ऐसी आज़ादी देंगे की फिर कभी आज़ादी का नाम तलक नहीं आएगा तुम्हारी ज़ुबान पर। तुम्हारी बुद्धि का शुद्धिकरण कर देंगे। नहीं हुआ तो निकाल फेकेंगे तुमको दूर जहां में। वहां लेते रहना आज़ादी। चिल्लाते रहना आज़ादी आज़ादी..

सीधे-सीधे शब्दों में कहूँ तो यहां जो हमने जितने भी तरह के सेकुलर लिब्रांडू बुद्धिजीवीयों का ज़िक्र किया है, दरअसल ये एक नास्तिक लोगों का समूह है, इनकी जबान सिर्फ देश तोड़ने के लिए ही लपलपाती है। इनका किसी धर्म में आस्था नहीं। ये हिंदुओं की आस्था के साथ खिलवाड़ करते है लेकिन मुस्लिमों के खिलाफ कुछ नहीं बोलते क्योंकि ये गद्दार मुस्लिमों को उकसाते है। मैं दावे के साथ कह सकता हूँ कि, अगर इसके जैसे गद्दार हमारे देश में ना होते तो, देश का मुसलमान गर्व से वन्दे मातरम् गाता। भारत माता की जय का उद्घोष करता। राष्ट्रगान को मज़हब से न जोड़ता।

लेकिन दुर्भाग्य है हमारे देश का, सॉरी (हमारे देश का तो दुर्भाग्य है ही) दुर्भाग्य है हमारे देश की भोली-भाली जनता का जो आज भी, राष्ट्रवाद का चोला ओढे तथाकथित सेकुलर लिब्रांडू बुद्धिजीवीयों के बहकावे में आकर अपने देश के खिलाफ रचे जा रहे साजिशों को नही समझ पा रहे हैं, और उनका समर्थन करते हैं|

जय हिंद जय भारत
भारत माता की जय

Comments

  1. बहुत सही एवं सटीक विश्लेषण👌
    इन बौद्धिक आतंकवादियों ने अपने कुछ पंथ और जमातें भी बना रखी है जिन्हें हम और आप फलाना ढिमका स्टडी सेंटर के नाम से जानते हैं

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  2. On point...highly impressive

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