रोहिन्ग्या मुसलमान "शरणार्थी" या "रिफ्यूजी जिहाद" की साजिश ?
हम भारतीय मानसिक रूप से इतने उदारवादी और भावुक होते हैं, की जब भी कोई अतिथि हो या असहाय हमारे यहाँ आते हैं, उसे हम अपना सिरमौर बना लेते हैं, क्योंकि हमारी संस्कृति, हमारे संस्कार, हमारी सभ्यताएं ये हमें हमारे पूर्वजों से विरासत में मिली है। “अतिथि देवो भव:” हमारा मूल मंत्र भी है और धर्म भी है। हमारा देश पहले की तरह आज भी विविधताओं से भरा देश है जहां हर धर्म, हर मजहब के लोग रहते हैं। इसी खूबियों के कारण हमारे देश पर अनेकों विदेशी आक्रमणकारियों ने अपना प्रभुत्त्व स्थापित करने की कोशिश की, तथा कुछ ने लम्बे अर्से तक शासन भी किया। हमारे देश पर सबसे पहले आक्रमण करने वाले आक्रांता (बैक्ट्रिया के ग्रीक राजा, इन्हें भारतीय साहित्य में यवन के नाम से जाना जाता है।) से लेकर मुगलों ने, सिकंदर से लेकर वास्कोडिगामा तक सब अपने अपने तरीके और सहुलियत के हिसाब से हमारे देश में आएँ और धीरे-धीरे यहाँ की धरोहरों पर अपनी काली नज़र गाड़ लूटने की साजिश रचे और लूटते रहें। आज फिर हमारे देश में बहुत ही सुनियोजित तरीके से रोहिन्ग्या मुसलमानों को शरणार्थी बना हमारे देश भेजे जाने की एक साजिश रची जा रही है, जिसे ह