जी चाहता है |
कुछ अधूरे शब्द जो बिखरे पड़े थें मन के संदूक में आज फिर से उनमें पंख लगाने को "जी चाहता है" कुछ अधूरे गीत जो खामोश पड़े थें दिल की दहलीज़ पर आज फिर से उन्हें गुनगुनाने को "जी चाहता है" कुछ अधूरे ख़्वाब जो बेजान पड़े थें यादों के झरोखें में आज फिर से उनमें रंग भरने को "जी चाहता है" कुछ अधूरे वादे जो टूटे पड़े थें ख़्वाहिशों की मेज पर आज फिर से उन्हें जोड़ने को "जी चाहता है" कुछ अधूरे साँस जो गुमसुम पड़े थें मौत के दरवाज़े पर आज फिर से उन्हें रुह में शामिल करने को "जी चाहता है" |