अब उठो पार्थ

अब उठो पार्थ हुंकार भरो
हर दुश्मन पर प्रहार करो
घर में बैठे गद्दारों का
अब चुन-चुन कर संहार करो

पाक-परस्ती करते हैं जो
उन दूष्टों का अब पहचान करो
चक्रव्यूह रचते हरपल जो
अब उस पर वज्रप्रहार करो
अब उठो पार्थ ~~~~~~

कब तक डीपी काली करके
नाकामी का रोना रोओगे
कब तक भारत माँ के लालों का
तुम सीना छलनी होते देखोगे
अब उठो पार्थ ~~~~~~

त्रिशूल उठा सिंहनाद करो
डम-डम डमरू का तान भरो
अब हर-हर, हर-हर महादेव का
गगनभेदी जयकार करो
अब उठो पार्थ ~~~~~~

पड़ा हिमालय खतरे में है
अब याचना नही रण करो
आँख दिखाते ड्रैगन के तुम
रक्त से उसके तिलक करो
अब उठो पार्थ ~~~~~~

काश्मीर हो या कैराना
केरल या बंगाल, असाम
अब बनो शिवाजी, भगत सिंह
हल्दीघाटी से श्रृंगार करो
अब उठो पार्थ ~~~~~~

मोह त्याग दो संस्कारो का
अब संस्कृति का बचाव करो
बाँध के भगवा पगड़ी सर पर
अब धर्म का अपने रक्षा करो

अब उठो पार्थ हुंकार भरो
हर दुश्मन पर प्रहार करो
घर में बैठे गद्दारों का
अब चुन-चुन कर संहार करो

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